ब्लॉकबस्टर ‘चार साहिबज़ादे’ के मेकर्स बावेजा स्टूडियोज लेकर आए हैं अपनी अगली एनिमेटेड फिल्म ‘हिंद दी चादर – गुरु लाधो रे’ का धांसू टीज़र!

'चार साहिबज़ादे' की जबरदस्त सफलता के बाद, बावेजा परिवार फिर से लौट आया है एक और दिल छू लेने वाली एनिमेटेड फिल्म लेकर — 'हिंद दी चादर – गुरु लाधो रे'!
बावेजा स्टूडियोज और ईरोस इंटरनेशनल द्वारा प्रोड्यूस की गई इस फिल्म को डायरेक्ट किया है रोवेना बावेजा ने। ये फिल्म नौवें सिख गुरु — श्री गुरु तेग बहादुर जी — की प्रेरणादायी और भावनात्मक कहानी को जीवंत करती है।
यह फिल्म 'चार साहिबज़ादे' का प्रीक्वल है और इस सीरीज़ की आख़िरी कड़ी मानी जा रही है।
टीज़र, जो हरमन बावेजा के बर्थडे से ठीक पहले रिलीज़ हुआ, 17वीं सदी की उस ऐतिहासिक गाथा की झलक दिखाता है, जिसने साहस, आस्था, आज़ादी और सर्वोच्च बलिदान को एक नई परिभाषा दी थी।
कहानी हमें ले जाती है बकाला से चांदनी चौक तक — जहां गुरु तेग बहादुर जी ने औरंगज़ेब की ज़ुल्मी हुकूमत के सामने निडर होकर खड़े होकर धर्म, इंसानियत और आज़ादी की रक्षा की।
उनका सर्वोच्च बलिदान आज भी भारत के इतिहास का वो पल है जिसने हिम्मत और करुणा के मायने हमेशा के लिए बदल दिए।

'हक़' की सफलता के बाद हरमन बावेजा एक बार फिर अपनी क्रिएटिव लहर पर सवार हैं। हरमन कहते हैं,
"मेरे लिए ज़रूरी है ऐसी कहानियाँ कहना जो हमारी जड़ों से जुड़ी हों — हिम्मत, बलिदान और इंसानियत की कहानियाँ। 'हिंद दी चादर – गुरु लाधो रे' सिर्फ़ एक फिल्म नहीं, बल्कि हमारी विरासत और इतिहास की रूह को सलाम है।"
डायरेक्टर रोवेना बावेजा ने कहा, "ये कहानी हमारे दिल के बेहद करीब है। श्री गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान आज भी सिखाता है कि असली ताकत और दया क्या होती है। हमने अपनी पूरी आत्मा इस फिल्म में डाल दी है और उम्मीद है कि ये हर उम्र के दर्शकों के दिलों को छू जाएगी।"
ईरोस इंटरनेशनल और हैरी बावेजा द्वारा प्रेज़ेंटेड, 'हिंद दी चादर – गुरु लाधो रे' एक बावेजा स्टूडियोज लिमिटेड प्रोडक्शन है, जिसे मॉम्हिल प्रोडक्शन्स लिमिटेड के साथ मिलकर बनाया गया है। फिल्म की कहानी रोवेना बावेजा ने लिखी है और इसे प्रोड्यूस किया है पम्मी बावेजा, हरमन बावेजा और ईरोस इंटरनेशनल ने।
इस फिल्म के साथ बावेजा स्टूडियोज एक बार फिर क्रिएटिविटी की सीमाएँ तोड़ रहा है। उनके आने वाले प्रोजेक्ट्स में शामिल हैं — बॉय फ्रॉम अंडमान, कैप्टन इंडिया, दिल का दरवाज़ा और इख़वान — जो कश्मीर के पहले अशोक चक्र अवॉर्डी पर आधारित बायोपिक है।

हरमन बावेजा अपनी दिल से निकली कहानियों और विज़नरी सोच के साथ एक बार फिर साबित करते हैं — कुछ फिल्में सिर्फ देखी नहीं जातीं, महसूस की जाती हैं!

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